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The Psychology of Trading: Managing Emotions for Better Decisions
Read More: The Psychology of Trading: Managing Emotions for Better DecisionsTrading in financial markets involves more than just technical analysis and market knowledge; it also requires understanding and managing the psychological factors that influence decision-making. Emotions such as fear,…
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कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा (अर्थ)
Read More: कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा (अर्थ)कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा । कै सेवा कर साधु की, कै गोविंद गुनगा ।। अर्थ: कबीर दास जी कहते हैं, यह जीवन (शरीर) दिन…
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कथा कीर्तन कुल विशे, भव सागर की नाव (अर्थ)
Read More: कथा कीर्तन कुल विशे, भव सागर की नाव (अर्थ)कथा कीर्तन कुल विशे, भव सागर की नाव । क़हत कबीरा या जगत, नाहीं और उपाय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि संसार रूपी भवसागर से पार उतरने…
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कबिरा आप ठगाइए, और न ठगिए कोय (अर्थ)
Read More: कबिरा आप ठगाइए, और न ठगिए कोय (अर्थ)कबिरा आप ठगाइए, और न ठगिए कोय । आप ठगे सुख होत है, और ठगे दुख होय ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि स्वयम को ठगना उचित है…
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कबिरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और (अर्थ)
Read More: कबिरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और (अर्थ)कबिरा ते नर अन्ध हैं, गुरु को कहते और । हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि वे नर अन्धे…
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कबिरा जपना काठ की, क्या दिखलावे मोय (अर्थ)
Read More: कबिरा जपना काठ की, क्या दिखलावे मोय (अर्थ)कबिरा जपना काठ की, क्या दिखलावे मोय । हिरदय नाम न जपेगा, यह जपनी क्या होय ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि इस लकड़ी की माला से क्या…
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कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ (अर्थ)
Read More: कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ (अर्थ)कबीर यह जग कुछ नहीं, खिन खारा खिन मीठ । काल्ह जो बैठा भंडपै, आज भसाने दीठ ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि यह संसार नाशवान है क्षण…
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कबीर सीप समुद्र की, रटे पियास पियास (अर्थ)
Read More: कबीर सीप समुद्र की, रटे पियास पियास (अर्थ)कबीर सीप समुद्र की, रटे पियास पियास । और बूँदी को ना गहे, स्वाति बूँद की आस ।। अर्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि प्रत्येक प्राणी को ऐसी…
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कबिरा मनहि गयंद है, आंकुश दै-दै राखि (अर्थ)
Read More: कबिरा मनहि गयंद है, आंकुश दै-दै राखि (अर्थ)कबिरा मनहि गयंद है, आंकुश दै-दै राखि । विष की बेली परि हरै, अमृत को फल चाखि ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि मन हाथी के समान है…
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कबीरा सोई पीर है, जो जा नै पर पीर (अर्थ)
Read More: कबीरा सोई पीर है, जो जा नै पर पीर (अर्थ)कबीरा सोई पीर है, जो जा नै पर पीर । जो पर पीर न जानइ, सो काफिर के पीर ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि वही सच्चा पीर…
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कागा काको धन हरे, कोयल काको देय (अर्थ)
Read More: कागा काको धन हरे, कोयल काको देय (अर्थ)कागा काको धन हरे, कोयल काको देय । मीठे शब्द सुनाय के, जग अपनो कर लेय ।। अर्थ: कागा किसका धन हरता है जिससे संसार उससे नाराज रहता है…
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Alex Lorel
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