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Understanding Market Volatility and How to Manage It
Read More: Understanding Market Volatility and How to Manage ItMarket volatility refers to the fluctuation in prices of financial instruments over time. It is a natural characteristic of financial markets driven by various factors, including economic data releases,…
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उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ)
Read More: उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ)उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय । एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ।। अर्थ: उजले कपड़े पहनता है और पाण-सुपारी खाकर अपने तन को मैला नहीं होने…
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आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ)
Read More: आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ)आया था किस काम को, तू सोया चादर तान । सूरत संभाल ए काफिला, अपना आप पहचान ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि प्राणी तू यहाँ मनुष्य योनि…
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आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)
Read More: आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत । जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन आवे सूत ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि सच्चा योगी बनना है तो…
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आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय (arth)
Read More: आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय (arth)आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय । सो जाने जो जरमुआ, जाकी लाई होय ।। अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि आग प्रायः धुआँ से जानी…
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आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ)
Read More: आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ)आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर ।। अर्थ: कबीरदास जी कहते हैं कि जो प्राणी इस संसार में जन्म ग्रहण…
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आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद (अर्थ)
Read More: आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद (अर्थ)आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद । नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद ।। अर्थ: जो मनुष्य इंद्रियों के स्वाद के लिए पूर्ण नाक तक भरकर खाय…
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आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक (अर्थ)
Read More: आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक (अर्थ)आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक । कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की एक ।। अर्थ: गाली आते हुए एक होती है परंतु उलटने पर बहुत हो…
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आस पराई राखता, खाया घर का खेत (अर्थ)
Read More: आस पराई राखता, खाया घर का खेत (अर्थ)आस पराई राखता, खाया घर का खेत । औरन को पथ बोधता, मुख में डारे रेत ।। अर्थ: तू दूसरों की रखवाली करता है अपनी नहीं यानि तू दूसरों…
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अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ)
Read More: अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ)अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान । हरि की बात दुरन्तरा, पूरी ना कहूँ जान ।। अर्थ: हरि का भेद पाना बहुत कठिन है पूर्णतया कोई भी न…
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अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार | कबीर के दोहे
Read More: अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार | कबीर के दोहेअन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार । जो तुम छोड़ो हाथ तौ, कौन उतारे पार ।। अर्थ: हे प्रभु ! आप हृदय के भावों को जानने वाले तथा आत्मा…
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Alex Lorel
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