kabir ke dohe
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जो जन भीगे राम रस, विगत कबहूँ ना रुख (अर्थ)
जो जन भीगे राम रस, विगत कबहूँ ना रुख । अनुभव भाव न दरसे, वे…
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जो जाने जीव आपना, करहीं जीव का सार (अर्थ)
जो जाने जीव आपना, करहीं जीव का सार । जीवा ऐसा पाहौना, मिले न दूजी…
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जो तू चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस (अर्थ)
जो तू चाहे मुक्ति को, छोड़ दे सबकी आस । मुक्त ही जैसा हो रहे,…
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झूठे सुख को सुख कहै, मानता है मन मोद (अर्थ)
झूठे सुख को सुख कहै, मानता है मन मोद । जगत चबेना काल का, कुछ…
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जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय (अर्थ)
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय । यह आपा तो डाल दे,…
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जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच (अर्थ)
जाके जिभ्या बन्धन नहीं हृदय में नाहिं साँच । वाके संग न लागिये, खाले वटिया…
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जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय (अर्थ)
जहाँ ग्राहक तंह मैं नहीं, जंह मैं गाहक नाय । बिको न यक भरमत फिरे,…
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जहर की जमी में है रोपा, अभी सींचें सौ बार (अर्थ)
जहर की जमी में है रोपा, अभी सींचें सौ बार । कबिरा खलक न तजे,…
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जल में बर्से कमोदनी, चन्दा बसै अकास (अर्थ)
जल में बर्से कमोदनी, चन्दा बसै अकास । जो है जाको भावना, सो ताही के…
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जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं (अर्थ)
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहिं । सब अंधिरा मिट…
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Alex Lorel
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