kabir ke dohe
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उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ)
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय । एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ।।…
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आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ)
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान । सूरत संभाल ए काफिला, अपना…
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आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत । जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन…
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आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय (arth)
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय । सो जाने जो जरमुआ, जाकी…
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आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ)
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर…
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आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद (अर्थ)
आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद । नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद…
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आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक (अर्थ)
आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक । कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की…
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अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ)
अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान । हरि की बात दुरन्तरा, पूरी ना कहूँ…
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अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार | कबीर के दोहे
अन्तरयामी एक तुम, आतम के आधार । जो तुम छोड़ो हाथ तौ, कौन उतारे पार…
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Alex Lorel
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