kabir ke dohe
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जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान (अर्थ)
जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान । मोल करो तलवार का, पड़ा रहन…
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जाके मुख माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप (अर्थ)
जाके मुख माथा नहीं, नाहीं रूप कुरूप । पुछुप बास तें पामरा, ऐसा तत्व अनूप…
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ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि (अर्थ)
ज्यों नैनन में पूतली, त्यों मालिक घर मांहि । मूर्ख लोग न जानिए, बाहर ढूँढ़त…
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जा घट प्रेम न संचरे, सो घट जान समान (अर्थ)
जा घट प्रेम न संचरे, सो घट जान समान । जैसे खाल लुहार की, सांस…
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जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं काम (अर्थ)
जहाँ काम तहाँ नाम नहिं, जहाँ नाम नहिं काम । दोनों कबहूं ना मिले, रवि…
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जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप (अर्थ)
जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप । जहाँ क्रोध तहाँ काल है,…
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जो तोकूं काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल (अर्थ)
जो तोकूं काँटा बुवै, ताहि बोय तू फूल । तोकू फूल के फूल है, बांकू…
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जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय (अर्थ)
जब लग नाता जगत का, तब लग भक्ति न होय । नाता तोड़ हरि भजे,…
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जब लग भक्ति से काम है, तब लग निष्फल सेव (अर्थ)
जब लग भक्ति से काम है, तब लग निष्फल सेव । कह कबीर वह क्यों…
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जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाय (अर्थ)
जब मैं था तब गुरु नहीं, अब गुरु हैं हम नाय । प्रेम गली अति…
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Alex Lorel
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