kabir ke dohe
-
दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार (अर्थ)
दुर्लभ मानुष जनम है, देह न बारम्बार । तरुवर ज्यों पत्ती झड़े, बहुरि न लागे…
-
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय (अर्थ)
तन बोहत मन काग है, लक्ष योजन उड़ जाय । कबहुँ के धर्म अगमदयी, कबहुँ…
-
-
दिल का मरहम कोई न मिला, जो मिला सो गर्जी (अर्थ)
दिल का मरहम कोई न मिला, जो मिला सो गर्जी । कहे कबीर बादल फटा,…
-
तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय (अर्थ)
तन को जोगी सब करे, मन को बिरला कोय । सहजै सब बिधिपाइये, जो मन…
-
तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय (अर्थ)
तीर तुपक से जो लड़ै, सो तो शूर न होय । माया तजि भक्ति करे,…
-
तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास (अर्थ)
तेरा साईं तुझ में, ज्यों पहुन में बास । कस्तूरी का हिरण ज्यों, फिर-फिर ढूँढ़त…
-
ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत (अर्थ)
ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत । प्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना…
-
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँव तले भी होय (अर्थ)
तिनका कबहुँ न निंदिये, जो पाँव तले भी होय । कबहुँ उड़ आँखों पड़े, पीर…
-
तीरथ गए से एक फल, सन्त मिलै फल चार (अर्थ)
तीरथ गए से एक फल, सन्त मिलै फल चार । सतगुरु मिले अधिक फल, कहै…
About Author
Alex Lorel
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua veniam.