rajwo
-
-
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय (अर्थ)
उज्ज्वल पहरे कापड़ा, पान-सुपारी खाय । एक हरि के नाम बिन, बाँधा यमपुर जाय ।।…
-
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान (अर्थ)
आया था किस काम को, तू सोया चादर तान । सूरत संभाल ए काफिला, अपना…
-
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत (अर्थ)
आशा को ईंधन करो, मनशर करा न भूत । जोगी फेरी यों फिरो, तब बुन…
-
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय (arth)
आग जो लागी समुद्र में, धुआँ न प्रगटित होय । सो जाने जो जरमुआ, जाकी…
-
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर (अर्थ)
आए हैं सो जाएँगे, राजा रंक फकीर । एक सिंहासन चढ़ि चले, एक बाँधि जंजीर…
-
आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद (अर्थ)
आहार करे मनभावता, इंद्री की स्वाद । नाक तलक पूरन भरे, तो कहिए कौन प्रसाद…
-
आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक (अर्थ)
आवत गारी एक है, उलटन होय अनेक । कह कबीर नहिं उलटिये, वही एक की…
-
-
अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान (अर्थ)
अपने-अपने साख की, सब ही लिनी भान । हरि की बात दुरन्तरा, पूरी ना कहूँ…
About Author
Alex Lorel
Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit, sed do eiusmod tempor incididunt ut labore et dolore magna aliqua veniam.